गतिविधिया

'हस्ताक्षर बदलो अभियान'*

जीवन की सबसे छोटी इकाई से परिवर्तन का आरंभ हो तो वह परिवर्तन जीवनव्यापी हो जाता है। ऐसा ही परिवर्तन हिन्दी से प्रेम करने वालों और हिन्दी को अपने जीवन में महत्त्वपूर्ण मानने वालों में भी करना चाहिए। वर्ष 2017 मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर बदलो अभियान संचालित किया जा रहा है

'हस्ताक्षर बदलो अभियान'*

जीवन की सबसे छोटी इकाई से परिवर्तन का आरंभ हो तो वह परिवर्तन जीवनव्यापी हो जाता है। ऐसा ही परिवर्तन हिन्दी से प्रेम करने वालों और हिन्दी को अपने जीवन में महत्त्वपूर्ण मानने वालों में भी करना चाहिए। वर्ष 2017 मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर बदलो अभियान संचालित किया जा रहा है, जिसमें हमें हमारे हस्ताक्षर को स्वभाषा में करने की प्रेरणा संस्थान के हिंदीयोद्धाओं द्वारा दी जाती है। और यह परिवर्तन आपके भाषा प्रेम को भी प्रदर्शित करता है और इसके साथ आपको भी अपनी भाषा से जोड़कर रखता है।

संस्थान द्वारा वर्ष 2017 में इंदौर शहर से इस अभियान का श्री गणेश हुआ था। 2017 में की गई मेहनत का असर बाद के दो वर्ष बाद नज़र आने लगा। इस अभियान का असर यह हुआ कि पहले जो लोग बैंक से लेकर अन्य सरकारी कामकाज में अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर करते थे वे न सिर्फ़ हिन्दी में हस्ताक्षर करने लगे हैं बल्कि संस्थान के अभियान का समर्थन करने के साथ प्रधानमंत्री से हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का आग्रह भी कर चुके है।

अभियान के अंतर्गत संस्थान का ध्येय रहा कि हस्ताक्षर हमारे जीवन की सबसे छोटी इकाई है, और यदि व्यक्ति अपनी स्वभाषा से प्रेम प्रदर्शित करना चाहता है, अथवा अपनी भाषा को अंगीकार करना चाहता है तो इस छोटे से परिवर्तन से शुरुआत हो सकती हैं। अपने हस्ताक्षर को स्वभाषा में करने से भाषा की मजबूती की दिशा में  पहला पायदान व्यक्ति के द्वारा चढ़ा जाएगा। इसी को ध्यान में रखकर संस्थान द्वारा हिन्दी में हस्ताक्षर बदलने की योजनाबद्ध तरीके से शुरुआत हुई। इसमें यदि आप अँग्रेज़ी में हस्ताक्षर करते है तो केवल एक छोटा-सा परिवर्तन कीजिए, यकीन मानिए आपकी एक आदत बदलने से हमारी मातृभाषा हिन्दी,  राष्ट्र भाषा के गौरव को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ेगी, क्योंकि इसके माध्यम से हिन्दीप्रेमियों की फौज तैयार होगी। और स्वभाषा से प्रेम भी प्रदर्शित होगा साथ ही स्वभाषा और हिन्दी को महत्व मिलेगा। ‘एक कदम इंडिया से भारत की ओर’ के अंतर्गत हस्ताक्षर बदलो अभियान में आपकी सहभागिता सुनिश्चित करेगी। वर्तमान में लगभग 21 लाख से अधिक लोगों द्वारा मय प्रतिज्ञा पत्र के द्वारा हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा ली गई हैं।

इस अभियान में देशभर में लगभग 15 हज़ार से अधिक हिन्दीयोद्धा सतत जनजागरण का कार्य कर रहे है, ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से लोग हस्ताक्षर बदलने का संकल्प लें सकते है और इस अभियान से जुड़ सकते हैं।

जन समर्थन अभियान क्या हैं? इसकी क्या आवश्यकता हैं?

संस्थान द्वारा हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए भारत के लोगों का लिखित समर्थन प्राप्त किया जा रहा हैं, इसका मूल उद्देश्य एक तरह से जनमत संग्रहण हैं। ताकि निकट भविष्य में हिन्दी का पक्ष न्यायालय में रखने के लिए हमारे पास पर्याप्त समर्थन भी हो कि कितने भारतीय हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते हैं और क्यों बनाना चाहते हैं। इसके माध्यम से विधिक दस्तावेजों में संस्थान का पक्ष मजबूत होगा।

इस अभियान के अंतर्गत हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हिन्दीयोद्धा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महनीय हस्तियों को हिन्दी के विस्तार के लिए भेंट करेंगे, वह महनीय लोग संस्थान द्वारा संचालित आंदोलन का समर्थन करते हुए जनजागृति के लिए अपने प्रशंसकों, शिष्यों, साथियों, एवं समर्थकों के साथ हिन्दी भाषा का विस्तार करेंगे।

संस्थान अब तक 25 लाख से अधिक भारतीयों को पत्र, अणुडाक (ईमेल) के माध्यम से सन्देश भेजकर उसी में प्रतिज्ञा पत्र के साथ समर्थन पत्र का प्रारूप भेजा चुका है। साथ ही संस्थान मिस्ड कॉल सेवाओं के माध्यम से भी मातृभाषा उन्नयन संस्थान हिन्दी के लिए जनमत संग्रह करेगा।

इस जनसमर्थन अभियान का उद्देश्य हिंदी को भारत की आधिकारिक राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाना हैं, इस हेतु संस्थान ने आधिकारिक नारा जारी किया है- ‘ हिंदी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में’। संस्थान के हिन्दी भाषासारथियों और संगणक योद्धाओं का दल देश के सभी प्रान्त के हिन्दी प्रेमियों को संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन का पत्र और हिंदी आखिर क्यों भारत में स्थापित होनी चाहिए इस संशय निवारण हेतु लिखी पुस्तिका ईमेल, डाक आदि के माध्यम से प्रेषित करेंगे और उसी के साथ हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा पत्र और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन पत्र भेजा जायेगा, जिसे प्राप्तकर्ता द्वारा भरकर उस पर हस्ताक्षर करके मेल या डाक के माध्यम से  पुनः हमें भेजना होगा, जो बतौर समर्थन संस्थान द्वारा प्रधानमंत्री तक पहुंचा कर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग को मज़बूती से रखा जाएगा। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए ट्वीटर, फेसबुक आदि माध्यमों से भी जनजागृति के लिए संस्थान के संगणक योद्धाओं द्वारा कार्य किया जाएगा।

 

संस्थान वर्तमान के अनुसार हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु संगणक (कम्प्यूटर) योद्धाओं का दल बना रही है, जिसका उद्देश्य हिन्दी सम्बंधित आंदोलन और जानकारियों को सोशल मीडिया आदि के माध्यम से राष्ट्रभर में पहुंचाए, जिससे राष्ट्र के हिन्दीभाषा प्रेमी एक जुट होंगे और हिंदी के गौरव की पुर्नस्थापना करने में अपना योगदान देंगे।

शिक्षालय की ओर चले हिन्दीग्राम’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के प्रकल्प हिन्दीग्राम द्वारा 26 दिसंबर, 2017 को ‘शिक्षालय की ओर चले हिन्दीग्राम’ अभियान आरम्भ किया गया, जिसके अंतर्गत विद्यालओं में हिन्दीग्राम द्वारा विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा की महत्ता समझाते हुए हिन्दी में हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित करना व हिन्दी प्रचार आदि कार्य आयोजित किए जाते है। इस अभियान के अंतर्गत विद्यालयों / महाविद्यालयों में  कार्यशाला, व्याख्यान, प्रतियोगिता इत्यादि आयोजित कर बच्चों के बीच हिन्दी की महनीयता को तैयार किया जाता है।

सेवा सर्वोपरि प्रकल्प

भारतवर्ष की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना के प्रभाव के कारण इस राष्ट्र की सामाजिक पूँजी का संरक्षण व समन्वय करोड़ों वर्षों के बाद भी स्थापित है। सैंकड़ो विभीषिकाओं के काल में अनगिनत उपसर्ग इस राष्ट्र पर आए किन्तु राष्ट्रवासियों के नि:स्वार्थ सेवाभावी संस्कारों के परिणामस्वरूप यहाँ का सामाजिक तानाबाना यथावत बना हुआ है। हमारे पौराणिक आख्यानों में भी ‘सेवा परमो धर्म:’  के वचन को आत्मसात कर जीवनयापन की प्रेरणा मिलती है। युग-युगांतर से प्रचलित इस वाणी को आत्मसात कर चरितार्थ करने उद्देश्य से ही हिन्दी भाषा के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने 24 अप्रैल 2021 में इन्दौर से एक प्रकल्प ‘सेवा सर्वोपरि’ की नींव रखी। इसके संस्थापक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ हैं।

इस प्रकल्प में देश के साहित्य, कवि जगत के साथ-साथ पत्रकार व समाज के सैंकड़ो युवाओं को जोड़ा गया है। कोरोना काल के दौरान प्रकल्प के माध्यम से हज़ारों ज़रूरतमन्द परिवारों में राशन किट निःशुल्क वितरित करवाया। किन्नरों को राशन, कोरोना सुरक्षा कवच किट इत्यादि का वितरण करवाया। फल-सब्ज़ी विक्रेताओं, रिक्शा चालकों, पुलिसकर्मियों, आदि को कोरोना सुरक्षा कवच किट वितरित करवाया गया। साथ ही, देशभर में होने वाली चिकित्सकीय सहायता, आवश्यकताओं इत्यादि के लिए समाधान हेतु ऑनलाइन कॉल सेंटर शुरू किया गया जिसमें प्रकल्प के माध्यम से ऑक्सीज़न सिलेंडर से लेकर दवाइयाँ, अस्पतालों की जानकारी, इंजेक्शन, प्लाज़्मा, चिकित्सक परामर्श, कच्चा राशन बाँटना, मरीज़ों के परिजनों और पुलिसकर्मियों को पानी की बोतलें बाँटना आदि कार्य लगातार किया गया, इसीलिए इस प्रकल्प के बारे में कहते हैं कि यह आपदा में उजाला बनकर उभरा है।

 

कोरोना की विभीषिका के उपरांत भी ‘नर सेवा-नारायण सेवा’ के वृहद् उद्देश्य की निरंतरता के लिए ‘सेवा सर्वोपरि’ का संचालन किया जा रहा है। इसमें नेत्रदान, रक्तदान व देहदान कैम्प इत्यादि लगवाए जाते हैं, सैंकड़ो बच्चों की स्कूली शिक्षा, कई लड़कियों के विवाह, दरिद्रनारायण के भोजन की व्यवस्था, प्रति माह भोजन वितरण, राशन, अस्पतालों में मरीजों को फल वितरण सहित ग़रीब बच्चों की शिक्षा, शिक्षण सामग्री वितरण इत्यादि कार्य लगातार इस प्रकल्प के द्वारा किए जा रहे हैं।

 

आप भी सेवा सर्वोपरि से जुड़कर नारायण सेवा कर सकते हैं। इसके अन्तर्गत प्रकल्प के सेवादार प्रति माह एक रविवार बस्तियों में जाकर समयदान करते हैं, वहाँ वस्त्र, भोजन, अन्य सामग्री वितरण से लेकर स्वास्थ्य शिविर इत्यादि का संचालन करते हैं। बस्ती सेवा, जल सेवा, स्वास्थ्य सेवा जैसे कई अभियानों के माध्यम से जनजागृति करना, दरिद्र नारायण को सबल और आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी सेवा सर्वोपरि प्रकल्प कार्य करेगा।

Scroll to Top