संरक्षक

सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं विचारक

पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिन्दी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक डॉ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को पौष की पूर्णिमा पर इंदौर में हुआ। वे सदा मेधावी छात्र रहे। वे भारतीय भाषाओं के साथ रूसी, फ़ारसी, जर्मन और संस्कृत के भी जानकार रहे। डॉ. वैदिक ने अपनी पीएच.डी. के शोधकार्य के दौरान न्यूयॉर्क की कोलंबिया विश्वविद्यालय, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ़ ओरिंयटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़’ और अफ़गानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया। कुशल पत्रकार, हिन्दी के लिए 13 वर्ष की उम्र से सत्याग्रह करने वाले हिन्दी योद्धा, विदेश नीति पर गहरी पकड़ रखने वाले सम्पादक डॉ. वैदिक जी कई पुस्तकों के लेखक रहे। सैंकड़ो सम्मानों से विभूषित आदरेय डॉ. वैदिक जी 14 मार्च 2023, मंगलवार को गुरुग्राम स्थित आवास से परलोक गमन कर गए।

सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार एवं ग़ज़लकार

सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार, ग़ज़लकार, हिन्दी-उर्दू साहित्य के सर्व स्वीकार्य व्यक्तिव, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक अहद उल्लाह ख़ान ‘प्रकाश’ जी का जन्म 17 जून 1951 को बरेली में हुआ। आपके पिता अहमद उल्लाह ख़ान व माता फ़हमीदा खातून थे। आप बचपन में 7-8 वर्ष की आयु से ही लेखन कर रहे थे। पढ़ाई के लिए आप रायसेन से भोपाल आ गए, जहाँ सैफ़िया कॉलेज, भोपाल से आपकी शिक्षा एम.ए. (स्नातकोत्तर) इतिहास में हुई।

आपने बच्चों के साहित्य में ‘आँखों में आकाश’ (बाल कविताएँ), ‘तमाशा मेरे आगे’ (ग़ज़ल), ‘सुबह सलोनी चमचम’ (उर्दू भाषा में बाल कहानियाँ) पुस्तकें लिखीं व ‘शहर-दर-शहर’ का संपादन किया।

आप फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया में उप प्रबंधक से सेवानिवृत्त हुए। आपने अपने दौर में पत्रकारिता भी की और भोपाल में ‘बच्चों की दुनिया’ के प्रकाशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका में रहें। हिन्दी और उर्दू के कई सम्मान आपके खाते में दर्ज रहें। धर्मवीर भारती जैसे सैंकड़ो संपादकों ने उनके सृजन को प्रकाशित किया है। आपका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणादायी है।

संरक्षक, मातृभाषा उन्नयन संस्थान

हिन्दी साहित्य, पत्रकारिता और भाषा के लिए स्तुत्य कार्य करने वाले, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित चौथा सप्तक के महनीय कवि, हिन्दीयोद्धा, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक राजकुमार कुम्भज का जन्म 12 फ़रवरी, 1947 को इन्दौर के एक स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी परिवार में हुआ। छात्र-जीवन में सक्रिय राजनीतिक भूमिका में रहने वाले बिहार प्रेस-विधेयक 1982 के विरोध में सशक्त और सर्वथा-मौलिक-प्रदर्शन करने वाले, 1975 में आपातकाल में भी पुलिसिया बर्बरता का शिकार  होने वाले योद्धा तथा देशभर में प्रथमतः अपनी पोस्टर कविताओं की प्रदर्शनी कनॉट प्लेस, नई दिल्ली 1972 में लगाकर आप बहुचर्चित भी हुए और गिरफ़्तार भी।

सर्जना की दृष्टि से अनेक महत्त्वपूर्ण तथा चर्चित कविता-संकलनों में आपकी कविताएँ संकलित हैं। अब तक लगभग छह दर्जन से अधिक स्वतंत्र कविता-पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी गौरव अलंकरण 2020, जनवादी लेखक संघ द्वारा एन. उन्नी सम्मान सहित श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति का शताब्दी सम्मान भी आपको मिला है।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।

29 अप्रैल, 1989 शनिवार को मध्य प्रदेश के सेंधवा में  पिता सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा के घर पुत्र का जन्म हुआ, जिनका नाम अर्पण रखा गया। अर्पण अपने माता-पिता के दो बच्चों में से सबसे बड़े हैं। उनकी एक छोटी बहन नेहल हैं। उनके पिता सुरेश जैन गृह और सड़क निर्माण का कार्य करते हैं। आपके दादा बाबूलालजी एक राजनैतिक व्यक्तित्व रहे। अर्पण जैन मध्य प्रदेश के धार जिले की छोटी-सी तहसील कुक्षी में पले-बढ़े। आरंभिक शिक्षा कुक्षी के वर्द्धमान जैन हाईस्कूल और शा. बा. उ. मा. विद्यालय कुक्षी में हासिल की, तथा फिर इंदौर में जाकर राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत संगणक विज्ञान (कम्प्यूटर साइंस) में बेचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कंप्यूटर साइंस) में स्नातक की पढ़ाई की और इसी दौरान ही अर्पण जैन ने सॉफ़्टवेयर व वेबसाईट का निर्माण शुरू कर दिया था। अर्पण ने फॉरेन ट्रेड में एमबीए किया, तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में एम.जे. की पढ़ाई भी की है। फिर  ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। नौकरी छोड़कर 11 जनवरी, 2010 को अर्पण ने ‘सेन्स टेक्नोलॉजीस’ सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत की इसी के साथ ख़बर हलचल वेब मीडिया की स्थापना की। 

वर्ष 2015 में शिखा जैन जी से उनका विवाह हुआ। अर्पण ने कई संस्थाओं के साथ जुड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में भी और अन्य सामाजिक कार्यों और जनहितार्थ आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। समाचारों की दुनिया से जुड़े होने के कारण अर्पण का हिन्दी प्रेम प्रगाड़ होता चला गया, इसी के चलते वर्ष 2016 में अर्पण ने मातृभाषा.कॉम की शुरुआत की और फिर तब से लेकर आज तक हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्यरत् रहे। इस दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में हिन्दी भाषा के महत्त्व को स्थापित करने के लिए यात्राएँ की, जनमानस को हिन्दी से जोड़ा, और मातृभाषा उन्नयन संस्थान और हिन्दी ग्राम की स्थापना की। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सतत्  प्रयासरत्  है। वर्तमान में हिन्दी के गौरव की स्थापना हेतु व हिन्दी भाषा को राजभाषा से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए संघर्षरत डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ भारतभर में इकाइयों का गठन करके हिन्दी आंदोलन का संचालन कर रहे हैं।

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ का ध्येय वाक्य है ‘हिन्दी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में’।  अपने ही देश में हिन्दी को स्थापित करने के उद्देश्य से डॉ. जैन ने मातृभाषा उन्नयन संस्थान के माध्यम से भारत के 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण 11 जनवरी 2020 को विश्व पुस्तक मेला 2020, प्रगति मैदान दिल्ली में विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। आप 15 पुस्तकों का लेखन कर चुक है एवं आपके संपादन में 6 किताबें प्रकाशित हो चुकी है। इसी के साथ, हिन्दी प्रचार के लिए सतत् प्रयत्नशील हिन्दी योद्धा डॉ. जैन को कई सम्मान व अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार व वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान महत्त्वपूर्ण हैं। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है। डॉ. जैन वर्तमान में देश के कई मीडिया संस्थानों में सलाहकार भी है।

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